TOP FIVE INDAN NEWS
1 Nitin
Gadkari requests clearance of stuck Chinese consignments at ports
A
lot of Chinese consignments are stuck at the seaports and airports due to the
new process of physical verification. This is affecting the Indian businessman
and economy as well. MSME minister Nitin Gadkari has written a letter to FM
Nirmala Sitharaman and Piyush Goyal requesting clearance of the
2 CBSE,ICSE के
बाद अब नीट
और जेईई को
रद्द करने की
मांग कर रहे
स्टूडेंट्स, ट्विटर पर ट्रोल
हो रहे जेईई
स्टूडेंट्स
गुरुवार को सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड की 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा रद्द होने के बाद से ही जेईई मेन और अन्य परीक्षाओं को लेकर उलझन और बढ़ गई है। इस परीक्षा के रद्द होने के साथ ही जेईई मेन, जेईई एडवांस और नीट 2020 परीक्षा की तैयारी कर रहे स्टूडेंट्स इसे भी स्थगित करने की मांग उठा रहे हैं। इसी मांग को लेकर ट्विटर पर इन दिनों #postponeNEETandJEE, #Healthoverexams ट्रेंड कर रहा है।
ट्रोल हो रहे जेईई-नीट स्टूडेंट्स
हालांकि, अभी तक सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यह साफ नहीं है कि देश भर में इन परीक्षाओं का आयोजन होगा या नहीं। ऐसे में CBSE एग्जाम कैंसिल होने पर सोशल मीडिया पर स्टूडेंट्स के रिएक्शन देखने को मिल रहे हैं। एक ओर जहां पढ़ाई में कम ध्यान देने वाले बैकबेंचर्स बच्चे टॉपर्स के मजे ले रहे हैं, तो वही अब कॉम्पिटेटिव एग्जाम्स की तैयारी कर रहे स्टूडेंट्स दी सोशल मीडिया पर काफी ट्रोल हो रहे हैं।
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After CBSE, ICSE, now students are demanding
cancellation of NEET and JEE, JEE students are being trolled on Twitter
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3 स्कोरिंग पैटर्न को लेकर दिख रहा कंफ्यूजन, स्टूडेंट्स रिजल्ट तैयार करने के लिए मॉडरेशन पॉलिसी की कर रहे मांग
सीबीएसई की परीक्षा की स्थिति साफ होने के बाद अब स्टूडेंट्स और पैरेंट्स रिजल्ट और उसके स्कोरिंग पैटर्न को लेकर कंफ्यूज नजर आ रहे हैं। बची परीक्षाओं के रद्द होने के बाद रिजल्ट तैयार करने के लिए अपनाए जा रहे पैटर्न को लेकर अभी भी मन में कई तरह के सवाल है। इस बारे में सीबीएसई ने कोर्ट में पेश किया ड्राफ्ट नोटिफिकेशन जारी कर स्टूडेंट्स,पैरेंट्स और टीचर्स को स्कोरिंग पैटर्न के क्राइटेरिया के बारे में जानकारी दी।
ये होगा स्कोरिंग पैटर्न
स्टूडेंट्स को अब उनके बेस्ट परफॉर्मिंग सब्जेक्ट में मिले मार्क्स के एवरेज के आधार पर बचे विषयों में नंबर दिए जाएंगे। साथ ही यदि कोई स्टूडेंट 3 से ज्यादा विषयों के पेपर दे चुका है, तो उनमें से तीन बेस्ट परफॉर्मिंग सब्जेक्ट के एवरेज मार्क्स के आधार पर बचे हुए पेपर में उन्हें नंबर दिए जाएंगे।3 सब्जेक्ट की ही परीक्षा में शामिल हुए स्टूडेंट को बेस्ट ऑफ टू यानी 2 सब्जेक्ट के बेस्ट मार्क्स के आधार पर बचे पेपर में नंबर दिए जाएंगे। वह स्टूडेंट जो सभी परीक्षाएं दे चुके हैं, उनका रिजल्ट एग्जाम में उनके परफॉर्मेंस के आधार पर ही तय किया जाएगा। इसके अलावा ऐसे स्टूडेंट्स जो रिजल्ट से नाखुश होने पर वैकल्पिक परीक्षा देते हैं, उनका रिजल्ट उन परीक्षाओं में मिले नंबरों के आधार पर तय होगा।
मॉडरेशन पॉलिसी की मांग कर रहे स्टूडेंट्स
सीबीएसई की तरफ से असेसमेंट स्कीम जारी करने के बाद से ही स्टूडेंट की तरफ से मॉडरेशन पॉलिसी लागू करने की मांग उठाई जा रही है। ऐसे में हमने एक्सपर्ट की मदद से जानने की कोशिश की कि आखिर मॉडरेशन पॉलिसी क्या है और यह मौजूदा हालात में किस तरह लागू की जा सकती है? एक्सपर्ट बताते हैं कि मॉडरेशन पॉलिसी का इस्तेमाल साधारण हालातों में किया जा सकता है। हर बोर्ड की अपनी एक मॉडरेशन पॉलिसी होती है, जिसके आधार पर बच्चों के रिजल्ट में जरूरी बदलाव किए जा सकते हैं। लेकिन, मौजूदा समय में देश असाधारण स्थिति से जूझ रहा है, ऐसे में इस तरह की परिस्थितियों में इस पॉलिसी को लेकर फिलहाल किसी तरह का कोई प्रावधान नहीं है।
क्या होती है मॉडरेशन पॉलिसी?
मॉडरेशन एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें स्टूडेंट्स को नंबर बढ़ा कर दिए जाते हैं। हालांकि इन नंबरों को बढ़ा कर दिए जाने के कई कारण हो सकते हैं। कई बार ऐसा होता है कि कुछ सेट के सवाल आसान तो कुछ के मुश्किल होते हैं। ऐसे परिस्थिति अगर आसान और मुश्किल सेट वाले स्टूडेंट्स को बराबर नंबर देना गलत हो सकता है। ऐसी स्थिति से बचने के लिए मॉडरेशन पॉलिसी की मदद से नंबर बढ़ा कर दिए जाते हैं।
कैसे मिलता है मॉडरेशन पॉलिसी फायदा?
मॉडरेशन पॉलिसी के तहत मिले नंबर सभी स्टूडेंट्स को समान रूप से नहीं दिए जाते हैं। यदि कोई स्टूडेंट किसी सब्जेक्ट में फेल होता है ,तो उसे मॉडरेशन पॉलिसी का फायदा नहीं मिलता। वहीं, इस पॉलिसी के तहत यह भी ध्यान रखा जाता है कि बढ़े हुए नंबर के बाद स्टूडेंट के किसी भी सब्जेक्ट में 95 से ज्यादा मार्स्क ना हो। उदाहरण के तौर पर यदि किसी सब्जेक्ट में मॉडरेशन पॉलिसी के तहत 10 नंबर दिए जा रहे हैं और स्टूडेंट में 89 मार्स्क हैं, तो ऐसे में उसे सिर्फ 6 अंक ही बढ़ा कर दिए जाएंगे। वहीं, जिस स्टूडेंट के मार्क्स 85 से कम होंगे, उसे मॉडरेशन के पूरे 10 मार्क्स मिलते हैं।
मॉडरेशन पॉलिसी पर क्यों उठा विवाद?
साल 2016 में इस पॉलिसी के तहत जब अप्रत्याशित तौर पर नंबर बढ़ाए गए, तो इसे लेकर विवाद शुरू हो गया। ऐसे में इसे लेकर एक बैठक बुलाई गई, जिसमें सीबीएसई और अन्य 32 राज्य बोर्ड के बीच मॉडरेशन पॉलिसी को खत्म करने पर सहमति बनी। लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट ने इस तरह बीच में पॉलिसी को खत्म करने से इंकार कर दिया।
इसके बाद केंद्र सरकार ने साल 2018 में 12वीं की परीक्षा देने वाले सभी स्टूडेंट्स को एक समान नंबर देने के लिए इंटर बोर्ड वर्किंग ग्रुप (IWBG) नामक एक कमेटी का गठन किया। इस बारे में सरकार ने यह भी कहा था कि यह पॉलिसी सिर्फ उन हालातों में होनी चाहिए, जब प्रश्न पत्रों के अलग-अलग सेट में सवालों की कठिनाइयों के स्तर में अंतर हो, बाकी अन्य परिस्थिति में मॉडरेशन को खत्म होना चाहिए।
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4 Petrol, Diesel Rates Above Rs 80 Per Litre In Delhi As Fuel Prices
Witness A Surge For 21st Consecutive Day
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5 Washington: The overall number of global Covid-19 cases has topped 9.7 million, while the deaths were nearing 500,000, according to the Johns Hopkins University.<strong> ALSO READ | <a href="https://ift.tt/3dFdtXT" target="_blank" rel="noopener noreferrer">WHO To Raise USD 31.3 Billion For Therapeutics, Vaccines, Diagnostics Over Next 1 Year To Combat Covid-19</a></strong> As of Saturday.



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